रविवार, 24 मई 2015

बरसो बाद ..

ये जीवन है .......
हां ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप .....
इस ज़िंदगी की आप धापी दौड़ भाग में कितना समय निकल गया
अब तो ठीक से याद भी नही .....
इन सब के बीच कुछ खोया तोकुछ पाया .....
एक लम्बे समय के बाद वापस आज ......
भविष्य के धरातल पर
खुद को तलाशती
अपने वज़ूद के साथ ......
                  ...मैं सुमन .........



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