सोमवार, 25 मई 2015

मन कहता है

मन कहता है
इंतज़ार में उसके
यादों के सहारे
उम्र गुज़ार दूँ
हालांकि
वो तो चला गया
कह कर
कि
भूल जाऊं उसे .......

रविवार, 24 मई 2015

बरसो बाद ..

ये जीवन है .......
हां ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप .....
इस ज़िंदगी की आप धापी दौड़ भाग में कितना समय निकल गया
अब तो ठीक से याद भी नही .....
इन सब के बीच कुछ खोया तोकुछ पाया .....
एक लम्बे समय के बाद वापस आज ......
भविष्य के धरातल पर
खुद को तलाशती
अपने वज़ूद के साथ ......
                  ...मैं सुमन .........